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कहते हैं जब हम किसी विषयवस्तु के इतिहास का अध्ययन करते हैं ,तब हम विशेष तौर पर उसके उस युग का अध्ययन करते है या उस काल का अध्ययन करते हैं जब उसमे परिवर्तन आने की शुरुआत होती हैं और एक बदलाव की बयार चलती हैं , शायद इसिलिय उसे क्रन्तिकारी युग कहा जाता हैं । फ्रांस की क्रांति हो या यूरोप का औद्योगिरण हम क्रन्तिकारी युग का विशेष अध्ययन करते हैं ।

दिल्ली  विश्वविद्यालय का एक ऑफ कैंपस  कालेज जो की अशोकविहार के मध्य में स्थित हैं ,नाम हैं सत्यवती सांध्य जिसके क्रन्तिकारी युग की शुरुआत डीयू updates जैसा ऑनलाइन पोर्टल बनने के साथ हुई ,और वहा स्वयं भी जाकर वह क्रांतिकारी युग बदलाव की अनुभूति की जा सकती है ।

DU Updates के पोर्टल बनने के बाद धीरे धीरे इस कालेज का सर्वायमिक एवम् सर्वांगीण  आधारभूत फैसले , छोटे छोटे स्तर पर परिवर्तन ,और बड़े स्तर पर उपलब्धियों का शुभारम्भ हो रहा है।

*राजनीति में बदलाव-

कालेज के छात्र संघ के चुनावो से जब कानूनों को सख्ती से लागु किया गया और सत्यवती कालेज सांध्य में पहली बार एक लड़की इसकी अध्यक्ष बनती हैं । कालेज को इस बात के लिए दुष्प्रचारित किया जाता रहा है  की यहा धन एवम् बाहुबल क प्रयोग किये बिना , छात्र संघ के चुनाव नही लड़े जा सकते , लेकिन इस बार के परिणाम इस कुंठित सोच पर सीधा प्रहार हैं ।पढ़ने लिखने वाला भी छात्र अब बढ़ चढ़ कर इसमें रूचि ले रहा है।

*माहौल-

कालेज के सेमिनार रूम शायद ही किसी दिन कभी खाली रहते हैं ,लगभग हर दिन किसी न किसी विषय पर चर्चा संगोष्ठी होती रहती हैं , लाइब्रेरी डिपार्टमेंट ने पहली बार एक सेमिनार आयोजित किया , और ये आयोजन सफल तब होते हैं जब सभागार की सीटे विद्यार्थियो से भरी रहती हैं ।

छुट्टियों के दिन में भी परीक्षाओ के दौर में भी विद्यार्थी भारी संख्याओ में किसी भी सेमिनार में अपनी उपस्थित दर्ज जरूर कराते हैं ।

*नए ढांचागत परिवर्तन-

जहा एक और कालेज में infrastructure का बदलाव तो हो ही रहा हैं साथ में छोटे छोटे शुरुआत जैसे की दो अलग अलग तरह के कचड़े के डिब्बे , अलग अलग जगहों पर होना । पेपर लेस चुनाव प्रचार को छात्रो द्वारा प्रोत्साहन मिला।

जहा एक और कालेज में पहली बार एक ओपन रीडिंग हाल खोल कर पुस्तकालय विभाग ने स्वतंत्रता और स्वछन्दता को बढ़ाते हुए विद्यार्थियो को एक खुला आसमान दिया ,तो उनके सवालो के जवाब जानने के लिए उनके बीच जाकर सर्वेक्षण भी किया ।

खुसी इस बात की भी हैं ,की नोटिस अब  दीवालों पर नही बल्कि बकायदा नोटिस बोर्ड पर चिपकाया जाता हैं ।

*विभिन्न  विभाग

कालेज में चर्चा बहस और वादविवाद को लेकर के एक नया माहौल बना हैं , जिसके लिए हमारी वादविवाद समिति ,जो केवल प्रतियोगिताओ तक सिमित न रह कर जीत हार तक सीमित न रह कर, सीखने और सीखाने का प्रयास करती हैं , उसक लक्ष्य अधिक से अधिक बच्चों को माइक के सामने पहुचाने का हैं , और सफलतापूर्वक छात्र माइक के सामने आरहे हैं ,यहा तक की वो विद्यार्थी जो सामने खड़े होकर अपना परिचय तक नही दे पाते थे आज वो ,लम्बे लम्बे भाषण दे रहे है ।

कालेज के सत्या ऑडिटोरियम में पहली बार समाजिक चेतना जगाने हेतु , एक फ़िल्म प्रदर्शित की जाती हैं ,जो अपने आप में एक सराहनीय प्रदर्शन रहा हैं।

सत्या ऑडिटोरियम में आये दिन होने वाली वार्ताएं , प्रतियोगिताएँ  सत्यवती सांध्य का स्तर ऊपर लेकर जा रही हैं ।

खेल कूद के क्षेत्र में नए कोर्ट्स का निर्माण हो य नए खेलो की शुरुआत शारीरिक विकास की और कालेज की सकारत्मक दृश्टिकोण का परिचायक हैं ।

*Initiatives –

कुछ छात्रो के ही समूह ने मिलकर साहित्य ,काव्य ( लेखन एवम् मौखिक )

दोनों को प्रोत्साहित एवम् उसका विकास करने के लिए एक ऐसे समूह का निर्माण किया है जहा कविताये लिखी पढ़ी बोली जाती है ।

ध्यान रहे अब तक यह साहित्य की सोसाइटी आधिकारिक नही है फिर भी छात्रो के जज्बे को सलाम की वो बाहर की कविता प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे है और कहि कहि पर विजय भी सुनिश्चित कर रहे है ।

किसी महापुरुष को याद करना हो या आधुनिकता के दौर में ज्ञान की देवी सरस्वती को स्मरण करना हो छात्र हर तरह के आयोजन के लिए प्रतिबद्ध है ,फिर कालेज प्रशाशन साथ हो य नही ।

*हर कालेज में ध्वज फहर रहा:-

विभिन्न कालेज में अपना ध्वज लहराने वाली वादविवाद समिति ने अकेले 24 प्रतियोगिता में विजय सुनिश्चित की । फिर वो  डांस सोसाइटी या हमारे खेल कूद की टीम या हमारी ncc की टीम विशेस्कर पुरे विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ ncc का तमगा तक मिलता है ।

बॉडीबिल्डिंग में गोल्ड और सिल्वर मेडल का मिलना भी इस बात का परिचायक है की छात्र न केवल बाहर निकल कर हिस्सा ले रहे है अपितु विजय भी सुनिश्चित कर रहे है ।, ऐसा प्रतीत होता हैं की दिल्ली विश्वविद्यालय के हवा का रूख सत्यवती सांध्य की और हैं ।

*अनोखी नुक्कड़ नाटक की टीम:-

एक और जहा ऐसे भी कार्य हुये जब समय समय पर कभी , शिक्षा को लेकर के , राजनीती को लेकर के , नुक्कड़ नाटक आयोजित कर कालेज विद्यार्थियो को जागरूक करने का प्रयास किया जाता रहा हैं ,जिसने काफी हद तक कालेज के माहौल को एक सकारत्मक दिशा प्रदान की हैं । और एक मात्र नुक्कड़ नाटक की टीम “सक्षम” जो किसी प्रतियोगिता में हिस्सा न लेकर जागरूकता सम्बन्धी नाटक प्रदर्शित करती हैं ,।

कई ऐसे भी कार्य किये गए जिसमे कालेज की किसी भी वित्तीय सन्साधन का प्रयोग नही किया गया , और निरन्तर गति से वो कार्य होते गए ।

*छात्र किताबो से बाहर निकल रहे है

विभागी स्तर पर कोई भी सोसाइटी अब केवल औपचारिकता तक सीमित नही हैं ।

सबसे प्रसन्नचित , होने वाली बात यह हैं की कालेज का एक बड़ा तबका जो केवल किताबो तक और क्लासेज तक सीमित रहता था , वो अलग अलग extra curricular activities में हिस्सा लेता है और अपना सर्वांगीण विकास करता हैं ।

आये दिन कालेज के बच्चों और स्टाफ का नॉन स्टाफ गार्ड्स के साथ समानता एवम् मित्रवत व्यवहार हमारी एक प्रगतिशील सोच का एक और प्रमाण हैं ।

*छात्र संघ का बड़ा फैसला

छात्र संघ का यह फैसला की वो एक बड़ी रकम ,पानी की समस्या और मेधावी छात्रो की छात्रवृत्ति के लिए डालता ह जिसमे 58 छात्रो को विभिन्न धनराशि दी गयी ।ये इस और इंगित करता हैं ,की अब कालेज में आत्मकेंद्रित एवम् केवल मैं की भावना के लोप में बढ़ोत्तरी हुई हैं ,और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है।

शिक्षको और छात्रो के साथ साथ प्रशाशन का सहयोग एवम मित्रवत व्यवहार हो या समन्वय दोनों ही उल्लेखनीय हैं ।

*विश्विद्यालय स्तर के आयोजन –

सत्यवती ओलिंपिक के नाम से छात्र संघ ने खेल प्रतियोगिता वो भी विश्विद्यालय स्तर की आयोजित की ,जिसमें विभिन्न कालेज के रणबाँकुरों ने हिस्सेदारी की ।

राजनीति विज्ञान विभाग का वार्षिक फेस्ट आगाज में अकेले 6 आयोजनों में 42 कालेजो को आमंत्रित कर सफलतापूर्वक आयोजन करता है , जो अपने आप में एक गर्व करने का अवसर प्रदान करता है ।

वादविवाद विभाग एक बिलकुल अनोखी और अलग वादविवाद प्रतियोगिता आयोजित करती है जो विश्विद्यालय में इससे पूर्व कभी आयोजित नही हुई ,जिसका फॉर्मेट बिल्कुल आमने सामने की बहस जैसा है इसीलिए इसको नाम भी आमने सामने दिय गया है ,।

*उत्तरपूर्वी छात्रो को लिया साथ

उत्तरपूर्वी छात्रो को मिलकर एक ignite फैशन सोसाइटी बन जाती हैं ,जो कला प्रदर्शन के साथ साथ समाजिक सन्देश भी देती हैं ध्यान रहे अक्सर कालेज की गतिविधियों में हम अपने इन मित्रो को साथ लेकर नही चलते पर , इस दिशा में यह प्रयास समरसता बनाने के लिए एक सुदृह् कदम है।

यह फेहरिस्त काफी लम्बी हैं , शब्दों के सीमा के चलते हर चीज़ का उल्लेख करना सम्भव नही हैं ।

आज एक और सत्यवती सांध्य समूचे दिल्ली विश्वविद्यालय का अगर ध्यान आकर्षित कर रहा हैं की हम इसे बरकरार रखे यह हमारी जिम्मेदारी हैं ।

काफी स्तरो पर कालेज में अभी भी काफी कुछ करना बाकि हैं ,लेकिन यह आरम्भ हैं उन तीव्र गति से होने वाले सकरात्मक बदलावों की जिन्हें हम सब को मिलकर जारी रखना है ।

क्योकि एक कालेज के विद्यार्थी ही उस कालेज को बनाते है, और गांधी के शब्दों में हम वह परिवर्तन स्वयं बने जो समाज में देखना चाहते हैं ।

और इस भावना से बढ़े की , हम अपने ही कालेज में एक ऐसी शुरुआत करे जिससे  जिन विशेष गुणों की वजह से लोग north और south कैंपस के तरफ भागते हैं ,हम वो गुण अपने यहा विकसित करे क्योकि हममे क्षमता हैं , और वह क्रांतिकारी बिगुल बज चूका हैं ।

एक ऑफ कैंपस कालेज में पढ़ने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है की आप की किसी बगल के कालेज से प्रतिस्पर्धा नही होती है ,होती भी है तो खुद से जो आपको और बेहतर बनाती है, और इसी प्रकार यह कालेज हर वर्ष और बेहतर निखर कर सामने आरहा है ।

 , तो महसूस कर सकता हु उस क्रन्तिकारी युग को ,नही मुझे उसके लिए पन्ने पलट कर इतिहास में नही जाना पड़ेगा , दरसल वो युग वो काल अभी हैं । दिल्ली विश्वविद्यालय का एक ऑफ कैंपस  कालेज जो की अशोकविहार के मध्य में स्थित हैं ,नाम हैं सत्यवती सांध्य जिसके क्रन्तिकारी युग की शुरुआत DU Updates जैसा ऑनलाइन पोर्टल बनने के साथ हुई ।

नए ढांचागत परिवर्तन-

जहा एक और कालेज में infrastructure का बदलाव तो हो ही रहा हैं साथ में छोटे छोटे शुरुआत जैसे की दो अलग अलग तरह के कचड़े के डिब्बे , अलग अलग जगहों पर होना । पेपर लेस चुनाव प्रचार को छात्रो द्वारा प्रोत्साहन मिला।

जहा एक और कालेज में पहली बार एक ओपन रीडिंग हाल खोल कर पुस्तकालय विभाग ने स्वतंत्रता और स्वछन्दता को बढ़ाते हुए विद्यार्थियो को एक खुला आसमान दिया ,तो उनके सवालो के जवाब जानने के लिए उनके बीच जाकर सर्वेक्षण भी किया ।

खुसी इस बात की भी हैं ,की नोटिस अब  दीवालों पर नही बल्कि बकायदा नोटिस बोर्ड पर चिपकाया जाता हैं ।

विभिन्न विभागो क पर्दर्शन  में चर्चा बहस और वादविवाद को लेकर के एक नया माहौल बना हैं , जिसके लिए हमारी वादविवाद समिति ,जो केवल प्रतियोगिताओ तक सिमित न रह कर जीत हार तक सीमित न रह कर, सीखने और सीखाने का प्रयास करती हैं , उसक लक्ष्य अधिक से अधिक बच्चों को माइक के सामने पहुचाने का हैं , और सफलतापूर्वक छात्र माइक के सामने आरहे हैं ,यहा तक की वो विद्यार्थी जो सामने खड़े होकर अपना परिचय तक नही दे पाते थे आज वो ,लम्बे लम्बे भाषण दे रहे है ।

कालेज के सत्या ऑडिटोरियम में पहली बार समाजिक चेतना जगाने हेतु , एक फ़िल्म प्रदर्शित की जाती हैं ,जो अपने आप में एक सराहनीय प्रदर्शन रहा हैं।

सत्या ऑडिटोरियम में आये दिन होने वाली वार्ताएं , प्रतियोगिताएँ  सत्यवती सांध्य का स्तर ऊपर लेकर जा रही हैं ।

खेल कूद के क्षेत्र में नए कोर्ट्स का निर्माण हो य नए खेलो की शुरुआत शारीरिक विकास की और कालेज की सकारत्मक दृश्टिकोण का परिचायक हैं ।

मीडिया डिस्कशन्स में नियमित प्रतिनिधित्व:-

नियमित अंतराल पर ndtv इंडिया और ndtv  24 ×7 की विभिन्न लाइव कार्यक्रमों  की चर्चाओ में न केवल हिस्सा लिया बल्कि अपने तार्किक एवम् जोरदार टिप्पणियों से राष्ट्र का भी ध्यान अक्रिष्ट किया

*प्रेरणादायक speaker के आयोजन :-

Upsc cse टॉपर इरा सिंघल हो , राजनीति विज्ञान विशेषज्ञ उर्मिलेश जी हो डॉ कलाम के निजी सचिव श्री खान हो या युवा entrepreneurs का व्यख्यान पुरे दिल्ली विश्विद्यालय को कालेज के प्रांगण में आमन्त्रित करता है ।

*Women safety केवल औपचारिकता नही-

कालेज स्तर में जेंडर चैंपियन नाम के एक ग्यारह छात्रो के एक समूह का गठन हुआ जो बालक बालिका की समानता सुनिश्चित करता हुआ किसी भी शोषण दमन अत्याचार को नस्टोनबूत करने के लिए लगातार जमीन हकीकत पर प्रचार एवम् छात्रो जागरूकता अभियान  चलाता है ।

*उत्तर पूर्वी छात्रो को लिया साथ-

उत्तरपूर्वी छात्रो को मिलकर एक ignite फैशन सोसाइटी बन जाती हैं ,जो कला प्रदर्शन के साथ साथ समाजिक सन्देश भी देती हैं ध्यान रहे अक्सर कालेज की गतिविधियों में हम अपने इन मित्रो को साथ लेकर नही चलते पर , इस दिशा में यह प्रयास समरसता बनाने के लिए एक सुदृह् कदम है।

यह फेहरिस्त काफी लम्बी हैं , शब्दों के सीमा के चलते हर चीज़ का उल्लेख करना सम्भव नही हैं ।

आज   सत्यवती सांध्य समूचे दिल्ली विश्वविद्यालय का अगर ध्यान आकर्षित कर रहा हैं और यह बरकरार रखे यह  वहा के छात्रों शिक्षक एवम् प्रशाशन का दायित्व है।

काफी स्तरो पर कालेज में अभी भी काफी कुछ करना बाकि हैं ,लेकिन यह आरम्भ हैं उन तीव्र गति से होने वाले सकरात्मक बदलावों की जिन्हें हम सब को मिलकर जारी रखना है ।

क्योकि एक कालेज के विद्यार्थी ही उस कालेज को बनाते है, और गांधी के शब्दों में हम वह परिवर्तन स्वयं बने जो समाज में देखना चाहते हैं ।

और इस भावना से यह कालेज बढ़ रहा हैकी इनका मानना है की , हम अपने ही कालेज में एक ऐसी शुरुआत करे जिससे  जिन विशेष गुणों की वजह से लोग North और South कैंपस के तरफ भागते हैं ,हम वो गुण अपने यहा विकसित करे क्योकि हममे क्षमता हैं , और वह क्रांतिकारी बिगुल बज चूका हैं ।

एक ऑफ कैंपस कालेज में पढ़ने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है की आप की किसी बगल के कालेज से प्रतिस्पर्धा नही होती है ,होती भी है तो खुद से जो आपको और बेहतर बनाती है, और इसी प्रकार यह कालेज हर वर्ष और बेहतर निखर कर सामने आरहा है ।

साथ ही नए नए initiatives लेने का एक शानदार अवसर क्योकि यह अभी अपने विकास की प्रक्रिया में होते है ।

तो आइये इस कालेज में लीजिये दाखिला

और बनिये इस परिवर्तन के युग का हिस्सा

-Saurabh Dubey (Satyawati College Evening)

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