दिल्ली की गर्मी में कूलर का साथ

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मानव सभ्यता के आविष्कारों ने बिजली के आविष्कार से लेकर पँखे तक का सफर तय कर ही लिया था। पँखा भी अब घमंडी हो चला था लोगों में उसकी माँग देखते हुए। जस्टिन बीबर समझने लगा था खुद को पर अचानक कूलर आ गया बाजार में। महँगा ही सही पर हवा ठंडी देता है। अजी सुनिए ना बच्चे को गर्मी बर्दाश्त नही होती एक कूलर ले आते है ना क्या हो जाएगा। अमीरी और गरीबी के बीच की रेखा बनाता कूलर। हवा के साथ जैसे ही पानी के छीटे मुँह पर पड़ते थे लगता था ज़न्नत मिल गयी हो। बहुत ही लड़ाई करवा दी थी इस कूलर ने घर मे। सब उसी में सामने सोना चाहते थे। लगता था अंदर ही घुस जाएंगे पर अभी भी हम कहाँ खुश थे। अब कूलर चाहत नही ज़रूरत बन गया था। बहुत मारामर थी और गाँवो में तो अभी भी ये एक स्वपन जैसा है। छत पर सोते हुए पता नही कैसे नींद आ जाती है रात में।

यहाँ सब कुछ होते हुए भी परेशान है आदमी। खैर कूलर को भी अभिमान होने लगा था और घमंड तो इस दुनिया ने करने ही नही दिया किसी को। आ गया क्लोरो फ्लोरो कार्बन छोड़ता एयर कंडीशनर। अमीर को एक और रेखा बनाने का अवसर मिल गया और गरीब को उसकी गरीबी का एक और एहसास। फिर मारामर चालू हुई पहले वाली। मानव सभ्यता को चर्चा करने का एक और विषय मिल गया। अब पुराने कूलर बिकने चालू हो गए गरीब जनता को। कूलर तो इतना आहत हुआ कि पूछिये मत। समाज मे एक दिन में इतनी इज़्ज़त की गिरावट सीधा बीबर से टाइगर वुड्स बन गया अपना प्यारा कूलर। लोहा गलने लगा उसका और उस मोटर में भी अब वो बात नही थी। वही पास दिल्ली के आजादपुर में सड़क के पास कुछ झुगियाँ भी थी। घर तो छोड़िए साहब अब तो गाड़ियों में भी ठंडी हवा का एहसास। एक बच्चा पैदा हुआ झूगी में और देखिए पैदा होते ही अस्थमा और सभी कहते रह गए कि हमने कोई अपराध नही किया। समाज असल मे अपना अपराध कुबूल नही करना चाहता। वह विकास के नाम पर अंधा हो चुका है। वह प्राकर्तिक संपदा को हड़पना चाहता है। लगता है ये जमीन सिर्फ उसी की है किसी जानवर की नही। जो मिला उसी को बेच दिया। किसी ने गँगा मइया के जल का धंधा किया तो किसी ने गो माता की खाल का।

ख़ैर कूलर अपनी घटती लोकप्रियता से बहुत परेशान है और एयर कंडीशनर को साम दाम दंड भेद किसी भी तरीके से हराने की कवायद में लगा है। इस होड़ में मनुष्य अपराधी तो है पर कोई सज़ा नही मिल रही। गर्मी में हमारे शरीर को ठंडा करने के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कूलर।


चेतन बगड़िया। (Satyawati College)

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